Mohi to bharoso hai tiharo ri kishori radhey|


Mohi to bharoso hai tiharo ri kishori radhey|
hou jas adham,tumahi ek janati,aur n janniharo ri kishori radhey|
bhukti,mukti nahin mangat keval ,apno jani niharo ri kishori radhey|
bhayo tihro jani radhike,hway jeho matvaro ri kishori radhey|
puni keh reh avkash vishay ko,char padarth kharo ri kishori radhey|
tum "kripalu"sarkar hamari,pyar karo ya maaro ri kishori radhey||
Dainya madhuri.
- Jagadguru shri kripaluji maharaj Prem Ras Madira (Dainya Madhuri)

O Radha! I have no trust on anybody else except you.
You are the only one who knows about my wickedness, no one else can even imagine.
I do not seek the material gratifications or liberation, just look at me as your own and I belong to you.
Realizing myself acknowledged by you as your own, I will be intoxicated out of joy.
Consequently all the sensual desires of this world viz. ‘Dharma’ (Vedic rituals), Kam (passion), mokchha (liberation) will be destroyed automatically.
Jagadguru Shri Kripalu Ji says,’ you are my benefactor. Hence it is up to you only, you love me or kill me.

मोहिं तो भरोसो है तिहारो री किशोरी राधे |
हौं जस अधम तुमहिँ इक जानति, और न जाननिहारो री किशोरी राधे |
भुक्ति मुक्ति नहिं माँगत केवल, अपनो जानि निहारो री किशोरी राधे |
भयो तिहारो जानि राधिके ! ह्वै जैहौं मतवारो री किशोरी राधे |
पुनि कहँ रह अवकाश विषय को, चारि पदारथ खारो री किशोरी राधे |
तुम ‘कृपालु’ सरकार हमारी, प्यार करो या मारो री किशोरी राधे ||
( प्रेम रस मदिरा दैन्य – माधुरी )-जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा रचित

भावार्थ - हे रासेश्वरी राधे ! मुझे तो एकमात्र तुम्हारा ही अवलम्ब है। मैं जिस कोटि का पतित हूँ, उसे तुम्हारे सिवा और कोई भी सांसारिक जीव नहीं जानता। संसार के सुखों से लेकर मोक्ष पर्यन्त का कोई भी सुख मैं नहीं माँगता। केवल यह माँगता हूँ कि तुम मुझे अपना समझकर अपनी कृपामयी दृष्टि से मेरी ओर देखो। जब मैं यह समझ लूँगा कि तुमने मुझे अपना बना लिया है, तब मैं आनन्द में विभोर होकर उन्मत्त हो जाऊँगा। जिसके परिणामस्वरूप सांसारिक विषय-वासनाएँ अपने-आप सदा के लिए समाप्त हो जायेंगी, एवं धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष ये चारों पदार्थ भी खारे लगने लगेंगे। ‘श्री कृपालु जी’ कहते हैं कि हे किशोरी जी ! तुम हमारी स्वामिनी हो और सदा रहोगी, चाहे मुझे अपना समझकर प्यार करो चाहे चरण से कुचलो।
 

Comments

  1. Radhey Radhey, Divya seea

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  2. Radha Radha Radha Radha Radha radha

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