"Sahaj Subhaav Parayau Naval Kishoree Joo Kau,
Mriduta, Dayaaluta, Kripaluta Kee Raasi Hain .
Naikahoon Na Ris Kahoon Bhoole Hoo Na Hot Sakhi,
Rahat Prasann Sada Hiye Mukh Haasi Hain .
Aisee Sukumaaree PYaare Laal Joo Kee Praan PYaaree,
DhanYa, DhanYa, DhanYa Teee Jinake Upaasihain .
Hit Dhruv Or Sukh Jahaan Lagi Dekhiyatu,
Suniyatu Jahaan Laagi Sabai Dukh Paasi Hain .”
- Shri Dhruvdas, Shringar Shat
Describing the true nature of Shri Radha Rani, Shri Dhruvdas Ji says Radharani is extremely simple and sweet. She never gets angry on anything and her face always joyfully blooms with a sweet smile. She is, in fact, a veritable form of compassion, grace, and kindness. Shri Radharani is soul beloved of Shri Krishn and her devotees are blessed, felicitous and prosperous. In the words of Shri Dhuruva Das, entire bliss in the world itself is slumped in deep dejection if one doesn't remember Radharani.
सहज सुभाव परयौ नवल किशोरी जू कौ,
मृदुता, दयालुता, कृपालुता की रासि हैं ।
नैकहूं न रिस कहूं भूले हू न होत सखि,
रहत प्रसन्न सदा हियेमुख हासि हैं ।
ऐसी सुकुमारी प्यारे लाल जू की प्रान प्यारी,
धन्य, धन्य, धन्य तेई जिनके उपासिहैं ।
हित ध्रुव ओर सुख जहां लगि देखियतु,
सुनियतु जहां लागि सबै दुख पासि हैं ।
- श्री ध्रुवदास, श्रृंगार शत
श्री राधा रानी के स्वाभाव का वर्णन करते हुए श्री ध्रुवदास जी कहते हैं कि हमारी किशोरीजी का स्वभाव अत्यंत ही सरल और मधुर है और कभी भी इनको क्रोध नहीं आता और निरंतर इनके चेहरे पर मृदु मुस्कान रहती है | यह मृदुता, कृपालुता और दयालुता की साक्षात मूर्ति एवं राशि हैं | यह प्यारे श्री कृष्ण की प्राण से भी अधिक प्यारी हैं और राधा रानी के उपासक धन्य, धन्य, धन्य हैं | ध्रुवदास जी के शब्दों में, ऐसी राधारानी कि उपासना को छोड़कर अन्य संपूर्ण सुख, दुख रूप ही हैं।
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