Shri Vallabhacharya - About Braj Raj
There was one Vaishnav named Prabhu Das Jaloṭa. One day He went to Radha Kund. At that time, Mahaprabhu Shri Vallabhacharya was also there with the devotees. When he came near him, Mahaprabhu said give him prasad too. Then Prabhu Das Jalota said that he hadn't taken bath yet. Let me take a bath and then I will take prasad.
Suddenly Mahaprabhu replied him:
"Arey vraksh vraksh venudhari aur patre patre chaturbhuj, yatr vrindavane tatr snatava snatava kathtaj"
Prabhu Das Ji, Here in Braj, Shree Krishn resides in every tree and even in every leaf, Shri Krishn has shown and proved it to Lord Brahma, You are in Same Braj. What do you think of Braj Raj (dust of Braj)? For place like Braj, one should not think about whether he has taken bath or not. Here Braj Raj is Queen.
महाप्रभु वल्लभाचार्य द्वारा ब्रज रस की महिमा
प्रभु दास जलोटा नाम के एक वैष्णव थे| एक बार वो राधा कुंड पर गये | उस समय महाप्रभु वल्लभाचार्य जी थे | वो जब आये तो महाप्रभु जी ने कहा कि उन्हें भी प्रसाद दे दो प्रभु दास जलोटा जी बोले कि मैंने स्नान नहीं किया है | अभी राधा कुंड में गोता लगा लूं, फिर प्रसाद लूँगा । तो वहाँ महाप्रभु जी ने एक श्लोक गाया:
(अरे वृक्ष वृक्ष वेणुधारी और पत्रे पत्रे चतुर्भुज, यत्र वृदावने तत्र स्नात्वा स्नात्वा कथत्ज )
प्रभुदास जी, यहाँ हर वृक्ष पर वेणुधारी कन्हैया हैं, यहाँ हर पत्ते पत्ते चतुर्भुज हैं , भगवान् ने ब्रह्मा जी को यही दिखाया था, आप उसी ब्रज में हो । आप उसी ब्रज में हो आपने यहाँ की मिटटी को क्या समझ रखा है ? अरे ऐसे ब्रज में स्नान हो न हो कुछ नहीं सोचना चाहिए । यहाँ की रज ही रानी है |
Website: www.brajrasik.org
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