Mayur kuti (Mor Kuti) is situated just after the upper segment of Daan-garh near Gehvar Van, Barsana. Various divine pastimes were performed here. One special about this is that both Shri Radha Krishn danced acquiring the form of peacock and second pastime is - Even so at times Shri Radha is somewhat in distraught act and Lord Krishna took the form of peacock to placate Her. Getting attracted with this wonderful peacock, Shri Radha started telling that- oh peacock! My beloved is also performing such dances. Hearing this, Shri Krishn leaving his peacock form told - "I am only yours beloved". And both got ecstatic and got divine union and both too performed peacock-dance.
One more divine pastime also is that the peacocks from Gahavarban come here then Shree Radha claims some of peacocks to be her and to some, shree Krishn claims to be his peacocks. Fierce rivalry held between them, whose peacock will dance better? Shree-Radha makes her peacocks dancing and Lord Krishn also makes her peacocks dancing. In this way, many divine peacock pastimes were performed in Mayur-kuti.
मयूरकुटी दानगढ़ की चोटी से आगे ही है, गहवर वन के पास ही है, बरसाना में । यहाँ पर कई तरह की लीलाएं हुई हैं। एक तो यह है कि मोर कुटी में दोनों श्रीराधा-कृष्ण ने मयूर बनकर नृत्य किया था और दूसरी लीला – यहाँ माननी श्री राधा ठकुरानी को रिझाने हेतु श्रीकृष्ण ने मयूर का रूप धारण किया था ।
अद्भतु मयूर से आकर्षित होकर, श्रीराधा कहने लगीं, “अरे मयूर! ऐसा ही नृत्य तो हमारे प्यारे किया करते हैं।” यह सुन कर अपने मयूर रूप को छोडकर श्रीकृष्ण बोले “मैं ही तो आपका प्यारा हूँ।” बस दोनों हंस गये और मिलन हो गया और दोनों ने ही मयूर नृत्य किया। एक लीला यह भी है कि गहवरवन के मोर वहां आते हैं तो किसी को श्रीजी कहती हैं कि यह मेरा मोर है और किसी को ठाकुर जी कहते हैं कि वह मेरा मोर है। दोनों में होड़ लगती है कि किसका मोर अच्छा नाचेगा? श्रीजी अपने मोर को नचाती हैं और ठाकुर जी अपने मोर को नचाते हैं। इसी तरह से मोर कुटी पर कई मयूर लीलायें हुई हैं।
Website: www.brajrasik.org
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