“अनुपम रूप, नीलमणि को री उर धरि कर करि हाय! गिरत सोई, लखत बार इक भूलेहुँ जो री | ”
नीलमणि कृष्ण का सौंदर्य- कृत्रिम नहीं हैं। जो कोई भी उसकी असीम सुंदरता एक बार गलती से देख लेता है तो उत्साहित हो जाता है और जमीन पर बेहोश हो जाता है।
Girat Soi, Lakhat Eik Bhulehu Jori" - Jagadguru Shri Kripaluji Maharaj
The beauty of sapphire-complexioned Krishn is ineffable. Whosoever catches a glance of his infinite beauty even once By Mistake, becomes ecstatic and falls unconscious to the ground.
Website: www.brajrasik.org
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