Unconditional love is nowhere experienced in all the three abodes and
fourteen planetary systems. This is only glittering in Vrindavan like
that of the gemstone in gold.
-Shri Dhruvdas
“ तीन लोक चौदह भुवन, प्रेम कहूँ ध्रुव नाहिं।
जगमग रह्यो जराव सौ, श्री वृन्दावन माहिं।। ”
श्री ध्रुवदास कहते हैं कि तीन लोक और चौदह भुवनों में सहज प्रेम के दर्शन
कहीं नही होते। यह तो एकमात्र श्री वृन्दावन में कञ्चन में जड़ी मणि की
भाँति जगमगा रहा है।
Website: www.brajrasik.org
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