"Jayati Ras Moor Ri, Surabhi Sur Bhoor Ri,
Bhagwat Rasik Jan Praan Saadha"
- Shri Bhagwat Rasik, Bhagwat Rasik Ki Vaani
Shree Bhagavad Rasik says, "O Shri Radhey, you alone are the original source of the divine bliss, Your fragrance and extremely captivating voice of your sip are the base of lives of Rasik saints.
जयति रस मूर री, सुरभि सुर भूर री, भगवत रसिक जन प्राण साधा ||
- श्री भगवत रसिक , श्री भगवत रसिक की वाणी
भगवत रसिक जी कहते हैं कि आप रस की मूल स्रोत हैं। आपकी देह की दिव्य सुगंध और कंठ का अत्यंत मनोहर स्वर रसिक जनों का प्राणाधार है। आपकी जय हो, आपकी जय हो, आपकी जय हो।
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