"Lakhi Jin Laal Ki Muskaan,
Rasik Bhagwat Drig Dai Aasi, Ainchi Ke Mukh Myaan”
- Shri Bhagwat Rasik - Bhagwat Rasik Ki Vaani
Shri Bhagwat Rasik says that the blissful Lord Shri Krishn has drawn the sword (of the divine smile) from the scabbard (of the divine face) and has slashed our eyes in such a way that these eyes have become worthless to see anything in this world apart from continually watching his divine smile.
लखी जिन लाल की मुसक्यान ,
रसिक भगवत दृग दई असि, ऐंचि कै मुख म्यान ||
- श्री भगवत रसिक - भगवत रसिक की वाणी
भगवत रसिकजी कहते हैं कि रसिक लालजी ने यही मुस्कान रूपी तलवार मुख रूपी म्यान से निकालकर हमारे नेत्रों में (ऐसी) मार दी है कि अब ये इस मुस्कान को देखते रहने के अलावा और किसी काम के नहीं रह गये हैं।
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