Saghoghindra Sudeshya Saandra Rasanandak Sanmurtiya - Shri Hita Harivansh Mahaprabhu - Shri Radha Sudha Nidhi
"Saghoghindra Sudeshya Saandra Rasanandak Sanmurtiya, Sarve Parydruta Sanmahimni Madhur Vrindavan Sangati |
Yeh Krura Api Papino Na Cha Santa Sambhashanya Drishyachasta Yeh, Sarvanvastitya Nireekshay Param Swaradhya Budhirmam"
- Shri Hita Harivansh Mahaprabhu - Shri Radha Sudha Nidhi (264)
Even cruel sinners, whom saintly persons will refuse to see or talk with, are glorious in all respects since they have the association with wonderful, charming Vrindavan. They will attain transcendental forms and will give bliss to the great yogis. When I see them, I know in my heart that they should be worshiped with great care.
"सद्योगीन्द्र सुद्दश्य सान्द्र रसदानन्दक सन्मूर्तयः, सर्वे प्यद्भुत सन्महिम्नि मधुर वृंदावन सङ्गतिः |
ये क्रूरा अपि पापिनो न च सतां सम्भाष्य दृश्याश्च ये, सर्वान्वस्तुतया निरीक्ष्य परम स्वाराध्य बुद्धिर्मम् ||"
- मुरली अवतार श्री हित हरिवंश महाप्रभु, श्री राधा सुधा निधि (264)
जिनका संग अद्भुत महिमा पूर्ण मधुर वृन्दावन से है, वे भले ही क्रूर पापी और सज्जनों के दर्शन सम्भाषण के अयोग्य व्यक्ति क्यों न हों किन्तु वे सभी लोग महान् योगीन्द्र गणों के भी लिये सुन्दर दर्शनीय, सघन रसदायी और एकमात्र आनन्द की मूत्तियाँ हैं। उनको वस्तुतया (यथार्थ दृष्टि से) देखकर उनमें मेरी अपनी स्वाराध्य बुद्धि है - वे मेरे लिये इष्टदेव के रूप हैं।
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