"Vrindavan Ras Reeti, Rahe Vicharat Chita Dhruv,
Puni Jaihe Bay Beeti, Bhajiye Naval Kishor Dou"
- Shri Dhruvdas - Bhajan Shat Leela
Chant the glories of ever young Divine Couple and remember the unique tendency of love and bliss adopted by the Rasiks of Vrindavan. Remember, by following the footsteps of Rasiks, One can obtain the ultimate bliss of Vrindavan (Vrindavan Ras), as the false body is depreciating day by day.
वंदावन रस रीति, रहे विचारत चित्त ध्रुव,
पुनि जैहे वय बीति, भजियै नवल-किसोर दोउ |
- श्री ध्रुवदास , भजन शत लीला
श्री ध्रुवदास जी कहते हैं कि उपासक, अपने मन में श्री वृन्दावन की रसमयी उपासना श्री लाडली लाल युगल स्वरूप का (नित्य ही युगल किशोर अवस्था में रहने वाले) सदा चिंतन करता रहे, क्योंकि आयु व्यतीत हुई जा रही है ! इस मधुरतम उपासना से जीव अत्यंत दुर्लभ वृन्दावन रस प्राप्त कर लेगा।
पुनि जैहे वय बीति, भजियै नवल-किसोर दोउ |
- श्री ध्रुवदास , भजन शत लीला
श्री ध्रुवदास जी कहते हैं कि उपासक, अपने मन में श्री वृन्दावन की रसमयी उपासना श्री लाडली लाल युगल स्वरूप का (नित्य ही युगल किशोर अवस्था में रहने वाले) सदा चिंतन करता रहे, क्योंकि आयु व्यतीत हुई जा रही है ! इस मधुरतम उपासना से जीव अत्यंत दुर्लभ वृन्दावन रस प्राप्त कर लेगा।
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