"Yeh Sukh Nirakhi Sakhi Nita Pramudit, Praan Kare Balihari.
Bhagwat Rasik Piyar Ya Ras Ko, Aur Lage Sab Khari"
- Shri Bhagwat Rasik, Bhagwat Rasik Ki Vani
O Sakhi friend, Look at the nectarine bliss of "Nitya Vihar" (Pastimes of Yugal Sarkar without being separated even for half a moment) and offer your life on it. Shri Bhagwat Rasik says, by drinking a bliss of "Nitya Vihar", all other kinds of pleasures look worthless.
यह सुख निरखि सखी नित प्रमुदित, प्राण करै बलिहारी |
भगवत रसिक पियत या रस को, और लगे सब खारी ||
- श्री भगवत रसिक - भगवत रसिक की वाणी
हे सखी, "नित्य विहार" के अमृत आनंद को देखो (युगल सरकार की लीला को आधे पल तक भी अनदेखा न करे) और अपने जीवन को इस न्योछावर कर दे। श्री भगवत रसिक कहते हैं कि "नित्य विहार" का आनंद लेकर अन्य सभी प्रकार के सुख बेकार दिखते हैं।
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