Vrindavan Dham Mahima - “Shri Radharani Ke Pag Pag Mein Prayag”.


"Shree Radha Raanee Ke Pag Pag Par Prayaag Jahaan Keshav Kee Keli-Kunj, Koti-Koti Kaashee Hai.
Yamuna Mein Jagannaath, Renuka Mein Raameshvar, Taru-Taru Pe Pade Rahat Ayodhya Nivaasee Hain.
Gopin Ke Dvaar Par Haridvaar Basat Jahaan Badree, Kedaaranaath , Phirat Daas-Daasee Hain.
To Svarg, Apavarg Hamen Lekar Karenge Kya Jaan Lo Hamen Ham Vrndaavan Vaasee Hain."

One Vrindavan resident, applauding the magnificence of Vrindavan says, wherever place Radha Rani walks along , that becomes PRAYAG, those Kunj (alcoves) where Lord Radha Govind plays, there exist unlimited 'Kashis'. Jagannath Ji resides in the Yamuna river, Rameswaram in Renuka (Dust of Vrindavan), And in the trees of Vrindavan Ayodhya residential Saints stay in subtle/minute form. On the doorstep of Gopis, Haridwar exists. Not only this, even Badrinath, Kedarnath stays here in the form of the servant of Radha-Krishn. Therefore, Brajwasi says, I don't need heaven, four types of liberations and anything else, as we are the Vrindavan residents.

"श्री राधा राणी के पग पग पर प्रयाग | जहाँ केशव की केलि-कुञ्ज, कोटि-कोटि काशी है ||
यमुना में जगन्नाथ, रेणुका में रामेश्वर | तरु-तरु पे पड़े रहत अयोध्या निवासी हैं ||
गोपिन के द्वार पर हरिद्वार बसत जहाँ | बद्री, केदारनाथ, फिरत दास-दासी हैं ||
तो स्वर्ग, अपवर्ग हमें लेकर करेंगे क्या | जान लो हमें हम वृन्दावन वासी हैं ||"

एक वृन्दावन वासी, वृन्दावन की महिमा का गुणगान करते हुए कहता है की श्री राधा रानी जहाँ जहाँ चलती हैं, वहीँ प्रयाग बन जाता है, श्री राधा कृष्ण जिन कुंजों में खेलते हैं, वहां अनंत कोटि काशी बसे हैं | श्री यमुना जी में जगन्नाथ जी का निवास है, रेणुका (ब्रज रज) में रामेश्वरम एवं वृन्दावन के वृक्षों में अयोध्या के निवासी सूक्ष्म रूप से रहते हैं | गोपियों के द्वार पर हरिद्वार बसा हुआ है| इतना ही नहीं, बद्रीनाथ, केदारनाथ यहाँ राधा कृष्ण के दास एवं दासी रूप से रहते हैं | इसलिए हम स्वर्ग, अपवर्ग एवं कहीं और जाकर क्या करेंगे, हम तो वृन्दावन वासी हैं |

Instagram: https://www.instagram.com/brajrasik

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