Dure Sanigdh Parampra Vijaytam Dure Suhunmandali - Murali Avtar Shri Hita Harivansh Mahaprahu, Shri Radha Sudha Nidhi


"Dure Sanigdh Parampra Vijaytam Dure Suhunmandali, Brityam Santu Vidoorto Brajpateranya Prasanga Kutey.
Yatra Shri Vrishbhanuja Krita Rati Kunjodare Kamina, Dvarastha Priya Kinkari Paramham Shroyami Kanchi Dhvanim"
- Murali Avtar Shri Hita Harivansh Mahaprahu, Shri Radha Sudha Nidhi (73)

Let the affectionate devotees of Shri Krishn stay far away. Let the friends and servants of him also stay far away. How can anyone approach this Nikunj Vrindavan forest? In a forest grove, King Vrsabhanu's daughter relishes pastimes with Her passionate lover. Standing at the doorway, I, Shri Radha's dear maidservant (Kinkari) will hear the tinkling of the ornaments at Her waist and relish the bliss!

दूरे स्निग्ध परम्परा विजयतां दूरे सुहन्मण्डली, भृत्याः सन्तु विदूरतो ब्रजपतेरन्य प्रसंगः कुतः ।
यत्र श्रीवृषभानुजा कृत रतिः कुञ्जोदरे कामिना, द्वारस्था प्रिय किङ्करी परमहं श्रोष्यामि कांची ध्वनिम् ॥
- मुरली अवतार श्री हित हरिवंश महाप्रभु, श्री राधा सुधा निधि (73)

जहां कुञ्ज-भवन के अभ्यन्तर भाग में परम-प्रेमी श्रीलालजी एवं श्रीवृषभानुनन्दिनीजू की रति-केलि होती रहती है, ब्रजपति श्रीलालजी के स्नेहीजनों की परम्परा वहाँ से दूर ही विराजे, एवं उनके सखा-गण भी दूर ही विराजमान रहें । भृत्य-वर्ग के लोग तो और भी दूर रहें । (इनके अतिरिक्त) अन्य-जनों का तो वहां प्रसङ्ग ही उपस्थित नहीं होता! यहाँ तो केवल उनकी परम-प्रिय किंकरी ही द्वार पर स्थित रहकर विहारावर वणित काञ्ची-ध्वनि श्रवण करती है या में श्रवण करती हूँ।


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