"Je Sewat Vrindavipin, Yugal Kunwar Ras Ain,
Te Baikunth Sukhadi Tan, Chitvat Nahin Bhari Nain"
- Shri Dhruvdas, Bhajan Shat (59)
Those who relish the bliss of Vrindavan i.e Yugal Ras, who adore the divine couple Shri Shyama Shyam, do not even look at the pleasures of ‘Baikunth’ abode.
जे सेवत वृन्दाविपिन, युगल कुँवर रस ऐंन |
ते बैकुंठ सुखादि तन, चितवत नहिं भरि नैंन || 59 ||
- श्री ध्रुवदास, भजन शत (59)
जो भक्त वृन्दावन का सेवन करते हैं और युगल युगल श्री श्यामा-श्याम के उपासक हैं एवं युगल रस में हैं, वे वैकुण्ठ के सुखों की ओर आँख भर भी नहीं ।
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