Naval Priya Chabi Basat rahyo, Ihi Vidhi Nainan Maahin.
Niksat Saghan Latani Te, Ghare Kanth Piya Baahin.
- Shri Dhruvdas, Bhajan Shat (61)
May I get this vision for countless lives when Shri Radha walks in the forests of Vrindavan with beloved Shri Krishn, in the intoxication of love, putting her arms around his neck.
नवल -प्रिया छवि बसत रहौ, इहि बिधि नैंननि माहिं |
निकसत सघन लतानि ते, धरे कंठ पिय बांहिं || 61 ||
- श्री ध्रुवदास, भजन शत (59)
मेरे नेत्रों में नवलप्रिया श्री राधा की यह घ्यान-छवि सदैव विराजित रहे कि वे प्रियतम के कण्ठ में अपनी ललित बाहुलता अर्पित किये हुए वृन्दावन की सघन लता कुञ्जों से होकर निकल रही हैं।
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