"Yo Mam Sarveshu Bhuteshu Sanmatmanam Ishwaram,
Hitvacharyam Bhajete Maudyaad Bhasmante Jev Juhauti Sa"
- Shrimad Bhagwatam - 3.29.22
One who worships the Deity of God in the temples but does not know that Shri Krishn is situated in every living entity’s heart, must be in ignorance and is compared to one who offers oblations into ashes.
“यो मां सर्वेषु भूतेषु सन्तमात्मानम ईश्वरम |
हित्वार्चां भजते मौढ्याद् भस्मन्येव जुहोति सः | | 3.29.22
जो व्यक्ति श्री कृष्ण को मंदिर (मूर्ति एवं प्रतिमा) में तो मानता है कि श्री कृष्ण बैठे हैं, परन्तु यह नहीं जनता एवं मानता की प्रत्येक जीव के हृदय में भी वही प्रियतम श्रीकृष्ण विद्यमान हैं, मानो मूढ़ता छाई हुई है, उसकी भक्ति अभी ऐसी है जैसे वो राख का ही केवल भजन कर रहा है अर्थात निरर्थक है।
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